राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के ‘सभी भारतीयों का एक ही है डीएनए’ वाले बयान को लेकर सियासी मोर्र्चे पर घमासान मचा हुआ है। इससे यह साफ हो जाता है कि अपने देश में किस तरह सीधी-सच्ची बात पर भी ओछी राजनीति शुरू हो जाती है। भागवत के बयान पर कांग्रेस,समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी से लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने जैसी प्रतिक्रिया दी, उससे यह जाहिर हो जाता है कि आजादी के करीब 73 वर्षो के बाद भी अपने देश के नेताओं मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया है।भागवत के बयान को लेकर किसी नेता ने यह सोचने-समझने की कोशिश नहीं की कि मोहन भागवत अपने इस कथन के जरिये सभी देशवासियों को एकता के सूत्र में बांधना चाहते हैं,जो समय की मांग और हकीकत दोनों ही है। संघ प्रमुख ने जो बात भारतीयों के संबंध में कही है,वह तो पूरी दुनिया के मुल्कों के वाशिंदों पर लागू होती है। हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम भारतीयों में जाति, मजहब, पूजा-पद्धति की भिन्नता भले ही हो,लेकिन हब सबके पूर्वज एक ही है। क्योंकि हमने और हमारे पूर्वजों ने इसी देश में जन्म लिया था,कहीं बाहर से नहीं आए थे। इसी लिए हम सब एक देश की संतान हैं और सबके पूर्वज एक ही हैं। भागवत के बयान में में ऐसा कुछ भी नहीं था जिस पर आपत्ति जताई जाए। बावजूद इसके किसी न किसी बहाने संघ प्रमुख के बयान पर आपत्ति जताई गई और विमर्श को खास दिशा में मोड़ने की कोशिश की गई। इसका मकसद लोगों को गुमराह करना और अपने वोट बैंक को साधने के अलावा और कुछ नहीं नजर आता।संघ प्रमुख के बयान पर इसलिए हो-हल्ला कुछ ज्यादा मच रहा है क्योंकि अगले वर्ष उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड, पंजाब सहित पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होना है,जहां वोटों का धु्रवीकरण काफी मायने रखता है। समाजवादी पार्टी हो या फिर कांग्रेस-बसपा सभी दलों के प्रमुख मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में खींचने में लगे हैं।
दरअसल, यूपी विधान सभा चुनाव से पूर्व विपक्ष संघ प्रमुख के बयान के सहारे कुछ वैसा ही माहौल खड़ा करना चाहता हैं जैसा 2015 के बिहार विधान सभा चुनाव के समय भागवत के बयान पर आरक्षण को लेकर बनाया गया था। तब विपक्ष के लिए संघ प्रमुख का बयान दलितों-पिछड़ों को उकसाने का मजबूत ‘हथियार’ बन गया था, जिसके चलते चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। बात यहीं तक सीमित नहीं है, ओवैसी जैसे नेताओं को तो यह भी रास नहीं आ रहा है कि संघ प्रमुख मॉब लिचिंग की आलोचना करते हुए ऐसा करने वाले हिन्दुओं को लताड़ें। आईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह व बसपा सुप्रीमां मायावती ने इसे लेकर भागवत पर अपना निशान साधा है।
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